Saleem Ahmed Hindi Shayari

  • चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;</br>
उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!Upload to Facebook
    चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;
    उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!
    ~ Saleem Ahmed