Saleem Ahmed Hindi Shayari

  • चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;</br>
उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!Upload to Facebook
    चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;
    उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!
    ~ Saleem Ahmed
  • हाल-ए-दिल ना-गुफ़्तनी है हम जो कहते भी तो क्या;
    फिर भी ग़म ये है कि उस ने हम से पूछा ही नहीं।
    ~ Saleem Ahmed
  • उस एक चेहरे में आबाद थे कई चेहरे;
    उस एक शख़्स में किस किस को देखता था मैं।
    ~ Saleem Ahmed
  • इश्क़ में जिसके ये अहवाल बना रखा है;
    अब वही कहता है इस वजह में क्या रखा है;
    ले चले हो मुझे इस बज्म में यारो लेकिन;
    कुछ मेरा हाल भी पहले से सुना रखा है।
    ~ Saleem Ahmed