किसी के लिए अच्छा और किसी के लिए ख़राब हूँ मैं; किसी के लिए कुछ नहीं किसी के लिए लाज़वाब हूँ मैं! |
धोखा ना देना कि तुझपे ऐतबार बहुत है, ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है, तेरी सूरत ना दिखे तो दिखाई कुछ नहीं देता, हम क्या करें कि तुझसे हमें प्यार बहुत है! |
तुम मुझे कभी दिल से कभी आँखों से पुकारो; ये होठों के तकल्लुफ तो ज़माने के लिए होते हैं! |
मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है; ख़मोशी भी है ये आवाज़ भी है! |
बदन के दोनों किनारों से जल रहा हूँ मैं; कि छू रहा हूँ तुझे और पिघल रहा हूँ मैं! |
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए; तू आज भी बेखबर है कल की तरह! |
फूल खिलते हैं बहारों का समा होता है, ऐसे मौसम में ही तो प्यार जवां होता है, दिल की बातों को होठों से नहीं कहते, ये फ़साना तो निगाहों से बयाँ होता है! |
होठों को दबाकर जब धीरे से मुस्कुराती हो; मेरी जान तुम दिल के जर्रे-जर्रे में छा जाती हो! |
उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं है; ये दिल उसका है अपना होता तो और बात होती! |
सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा; जितना देखेंगे तुम्हें उतना ही प्यार आएगा! |