कई ज़रिये हैं कुछ कहने के, उनमें से एक जरिया है कुछ ना कहना! |
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है; हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है! |
दिल के रिश्ते हैं बस किस्मत से बनते हैं; वरना मुलाक़ात तो हज़ारों से होती हैं! |
इंतजार, इज़हार, इबादत सब तो किया मैंने; कैसे बताऊं कि तुमसे इश्क़ कितना किया मैंने! |
कोई जिस्म पर अटक गया कोई दिल पर अटक गया, इश्क उसका ही मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुँच गया! |
ना जन्नत में, ना ख्यालों में, ना ही किसी जमाने में; सुकून दिल को मिलता है हमें तुमसे नजरें मिलाने में! |
क़र्ज़ होता तो उतार भी देते, कम्बख्त इश्क़ था चढ़ा रहा! |
ये इश्क़ और मोहब्बत की रवायत भी अजीब है; जिसको पाया नहीं उसको खोना भी नहीं चाहते! |
तुम स्नेह के सौदे भी अजीब करते हो, बस जरा सा मुस्कुरा कर दिल खरीद लेते हो! |
बीच का रास्ता नहीं होता है, इश्क होता है या नहीं होता है! |