इश्क हमें जीना सिखा देता है, वफा के नाम पर मरना सिखा देता है; इश्क नहीं किया तो करके देखो जालिम, हर दर्द सहना सिखा देता है। |
बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना; तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है! |
न जाने करीब आना किसे कहते हैं; मुझे तो आपसे दूर जाना ही नहीं आता! |
फिजाओं से उलझ कर एक हसीं यह राज़ जाना हैं; जिसे कहतें हैं मोहब्बत वह नशा ही कातिलाना है! |
मुझे क़ुबूल ही नहीं दूसरा इश्क़ हरगिज़;
मेरे सीने में इश्क़-ए-मोहम्मद हने दो! |
आँख से आँख जब नहीं मिलती; दिल से दिल हम-कलाम होता है! |
आसाँ नहीं दरिया-ए-मोहब्बत से गुज़रना; याँ नूह की कश्ती को भी तूफ़ान का डर है! |
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की; अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी! |
तुम चाहो तो ले लो मेरी रूह की तलाशी; यकीन मानो, कुछ भी नहीं बचा मुझमे तुम्हारी मोहब्बत के सिवा! |
फिरते है मीर अब कहाँ, कोई पूछता नहीं; इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयी! |