अब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह है; अब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं। |
लिखा था राशि में आज खज़ाना मिल सकता है, कि अचानक गली में सनम पुराना दिख गया। |
कोई समझे तो एक बात कहूँ, इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं। |
तोहमतेँ तो लगती रही रोज़ नयी नयी हम पर, मगर जो सबसे हसीन इलज़ाम था वो तेरा नाम था। |
आदत सी हो गयी है तेरे करीब रहने की, बस इतना बता तेरी साँसों की खुशबू वाला इत्र मिलेगा कहाँ! |
तुम हमें कभी दिल कभी आँखों से पुकारो, ये होंठो के तकल्लुफ तो ज़माने के लिए हैं। |
सूरज ढलते ही रख दिये उसने मेरे होठों पर होंठ, इश्क का रोज़ा था और गज़ब की इफ्तारी। |
दिल को तेरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है, और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता। |
नहीं है अब कोई तमन्ना इस दिल में, मेरी पहली और आखिरी जुस्तजू बस तुम हो। |
नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा, तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है। |