दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे; उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे! |
गज़ब की आशिकी है तेरी इन निगाहो में; जब भी देखती है डूबने को मजबूर कर देती है! |
मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख; रस्ते में छाँव पा के मुसाफ़िर ठहर न जाए! |
निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को; तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की! |
उसकी बाहों में सोने का अभी तक शौक है मुझको; मोहब्बत में उजड़ कर भी मेरी आदत नहीं बदली! |
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है; इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है! |
तेरे लिए कभी इस दिल ने बुरा नहीं चाहा; ये और बात हैं कि मुझे ये साबित करना नहीं आया! |
चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई, चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए, हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे, माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये! |
कुछ ख़ास जानना है तो प्यार कर के देखो, अपनी आँखों में किसी को उतार कर के देखो, चोट उनको लगेगी आँसू तुम्हें आ जायेंगे, ये एहसास जानना है तो दिल हार कर के देखो! |
दिल के लिये हयात का पैगाम बन गईं; बैचैनियाँ सिमट के तेरा नाम बन गईं! |