इश्क Hindi Shayari

  • जख्म ऐ दिल पर हाथ रखकर मुस्कुराना भी इश्क है;<br/>
याद रखना `याद` करना और `याद` आना भी इश्क है!Upload to Facebook
    जख्म ऐ दिल पर हाथ रखकर मुस्कुराना भी इश्क है;
    याद रखना "याद" करना और "याद" आना भी इश्क है!
  • तेरे साथ का मतलब जो भी हो;<br/>
तेरे बाद का मतलब कुछ भी नहीं!Upload to Facebook
    तेरे साथ का मतलब जो भी हो;
    तेरे बाद का मतलब कुछ भी नहीं!
  • यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहा,<br/> 
कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल में!Upload to Facebook
    यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहा,
    कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल में!
  • शायरी उसी के लबों पर सजती है साहिब;<br/>

जिसकी आँखों में इश्क रोता हो!Upload to Facebook
    शायरी उसी के लबों पर सजती है साहिब;
    जिसकी आँखों में इश्क रोता हो!
  • तेरा ज़िक्र मेरी हर बात मैं है;<br/>
तुम पास नहीं पर साथ में है;<br/>
मैं तुझसे बिछड़ कर जाऊं कहाँ;<br/>
तेरा इश्क़ तो मेरी जात में है!
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    तेरा ज़िक्र मेरी हर बात मैं है;
    तुम पास नहीं पर साथ में है;
    मैं तुझसे बिछड़ कर जाऊं कहाँ;
    तेरा इश्क़ तो मेरी जात में है!
  • मुहब्बत का खुमार उतरा तो तब साबित हुआ;<br/>
वो जो मंज़िल का रास्ता था, बे-मकसद सफर निकला!Upload to Facebook
    मुहब्बत का खुमार उतरा तो तब साबित हुआ;
    वो जो मंज़िल का रास्ता था, बे-मकसद सफर निकला!
  • मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब;<br/>
आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना;<br/>
मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते `ग़ालिब`;<br/>
अर्श से इधर होता काश के माकन अपना!Upload to Facebook
    मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब;
    आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना;
    मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते `ग़ालिब`;
    अर्श से इधर होता काश के माकन अपना!
    ~ Mir Taqi Mir
  • तुम चाहो तो ले लो मेरी रूह की तलाशी;<br/>
यकीन मानो, कुछ भी नहीं बचा मुझमे तुम्हारी मोहब्बत के सिवा!Upload to Facebook
    तुम चाहो तो ले लो मेरी रूह की तलाशी;
    यकीन मानो, कुछ भी नहीं बचा मुझमे तुम्हारी मोहब्बत के सिवा!
  • फिरते है मीर अब कहाँ ,कोई पूछता नहीं;<br/>
इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयीUpload to Facebook
    फिरते है मीर अब कहाँ ,कोई पूछता नहीं;
    इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयी
    ~ Mir Taqi Mir
  • ये शायरीयाँ कुछ और नहीं बेइंतहा इश्क है;<br/>
तड़प उनकी उठती है और `दर्द` लफ्जों में उतर आता है!Upload to Facebook
    ये शायरीयाँ कुछ और नहीं बेइंतहा इश्क है;
    तड़प उनकी उठती है और "दर्द" लफ्जों में उतर आता है!