तुम दोस्त बनके ऐसे आए जिंदगी में, कि हम ये जमाना ही भूल गये, तुम्हें याद आए ना आए हमारी कभी, पर हम तो तुम्हें भुलाना ही भूल गये! |
मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था; वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था! |
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें; जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें! |
बारिश के बाद तार पर टंगी आखिरी बूँद से पूछना, क्या होता है अकेलापन! |
बिछड़ गए हैं जो उनका साथ क्या माँगू; ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या माँगू; वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें; अपने अकेले के लिए कायनात क्या माँगू! |
उससे बिछड़े तो मालूम हुआ मौत भी कोई चीज़ है; ज़िन्दगी वो थी जो उसकी महफ़िल में गुज़ार आए। |
मोहब्बत ऐसी थी कि उनको बताई न गयी, चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी; चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर, दूरी इतनी थी कि मिटाई न गयी। |
तुझसे दूर रहकर कुछ यूँ वक़्त गुजारा मैंने; ना होंठ हिले फिर भी तुझे पल-पल पुकारा मैंने। |
बस इतने करीब रहो कि; अगर बात ना भी हो तो दूरी ना लगे! |
तुझसे दूरी का एहसास सताने लगा, तेरे साथ गुज़रा हर पल याद आने लगा; जब भी कोशिश की तुझे भूलने की, तू और ज्यादा दिल के करीब आने लगा। |