जुदाई Hindi Shayari

  • बड़े ही अजीब हैं ये ज़िन्दगी के रास्ते,<br/>
अनजाने मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं,<br/>
मिलने की खुशी दें या न दें,<br/>
मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते हैं!Upload to Facebook
    बड़े ही अजीब हैं ये ज़िन्दगी के रास्ते,
    अनजाने मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं,
    मिलने की खुशी दें या न दें,
    मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते हैं!
  • जिसकी आँखों में काटी थी सदियाँ;<br/>
उसने सदियों की जुदाई दी है!Upload to Facebook
    जिसकी आँखों में काटी थी सदियाँ;
    उसने सदियों की जुदाई दी है!
  • जाते-जाते उसके आखिरी अल्फाज़ यही थे;<br/>
जी सको तो जी लेना मर जाओ तो बेहतर है!Upload to Facebook
    जाते-जाते उसके आखिरी अल्फाज़ यही थे;
    जी सको तो जी लेना मर जाओ तो बेहतर है!
  • दिल से निकली ही नहीं शाम जुदाई वाली;<br/>
तुम तो कहते थे बुरा वक़्त गुज़र जाता है!Upload to Facebook
    दिल से निकली ही नहीं शाम जुदाई वाली;
    तुम तो कहते थे बुरा वक़्त गुज़र जाता है!
  • आज भी कितना नादान है दिल समझता ही नहीं;<br/>
बाद बरसों के उन्हें देखा तो दुआएँ माँग बैठा!Upload to Facebook
    आज भी कितना नादान है दिल समझता ही नहीं;
    बाद बरसों के उन्हें देखा तो दुआएँ माँग बैठा!
  • तुम दोस्त बनके ऐसे आए जिंदगी में,<br/>
कि हम ये जमाना ही भूल गये,<br/>
तुम्हें याद आए ना आए हमारी कभी,<br/>
पर हम तो तुम्हें भुलाना ही भूल गये!Upload to Facebook
    तुम दोस्त बनके ऐसे आए जिंदगी में,
    कि हम ये जमाना ही भूल गये,
    तुम्हें याद आए ना आए हमारी कभी,
    पर हम तो तुम्हें भुलाना ही भूल गये!
  • मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था; <br/>
वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था! Upload to Facebook
    मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था;
    वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था!
    ~ Anjum Rahbar
  • अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें; <br/>
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें!Upload to Facebook
    अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें;
    जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें!
    ~ Ahmad Faraz
  • बारिश के बाद तार पर टंगी आखिरी बूँद से पूछना,<br/>
क्या होता है अकेलापन!Upload to Facebook
    बारिश के बाद तार पर टंगी आखिरी बूँद से पूछना,
    क्या होता है अकेलापन!
  • बिछड़ गए हैं जो उनका साथ क्या माँगू;<br/>
ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या माँगू;<br/>
वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें;<br/>
अपने अकेले के लिए कायनात क्या माँगू!Upload to Facebook
    बिछड़ गए हैं जो उनका साथ क्या माँगू;
    ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या माँगू;
    वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें;
    अपने अकेले के लिए कायनात क्या माँगू!