कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे में; मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो! |
हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँ; तेरे हर दर्द को मैं अपना कहूँ; सब कुछ क़ुर्बान है मेरे यार पर; कौन है तेरे सिवा जिसे मैं अपना कहूँ! |
इस दुनिया में अजनबी रहना ही ठीक है; लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर! |
ख़ाली नहीं रहा कभी आँखों का ये मकान, सब अश्क़ बाहर गये तो उदासी ठहर गयी। |
आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की; ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो! |
आया था एक शख्स मेरा दर्द बाँटने; रुखसत हुआ तो अपना भी गम दे गया मुझे! |
फिर कभी नहीं हो सकती मोहब्बत सुना तुमने; वो शख्स भी एक था और मेरा दिल भी एक! |
न जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की; अब वजह नहीं मिलती मुस्कुराने की! |
कुछ दिल में, कुछ कागजों पर किस्से आबाद रहे; कैसे भूले उन्हें, जो हर धडकनों में याद रहे! |
कसूर मेरा था तो कसूर उनका भी था; नज़र हमने जो उठाई थी तो वो झुका भी सकते थे! |