अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे; फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे; ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे; अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे। |
दुश्मनों से मोहब्बत होने लगी है मुझे; जैसे-जैसे दोस्तों को आज़माते जा रह हूं मैं... |
दोस्ती में दोस्त, दोस्त का ख़ुदा होता है; महसूस तब होता है जब दोस्त, दोस्त से जुदा होता है। |
फसलों से इंतज़ार बढा करता है; इंतज़ार से प्यार बढ़ा करता है; सारी ज़िंदगी ख़ुदा से सजदा करो तब जा के; तुम्हारे जैसा यार मिला करता है। |
दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तेफ़ाक़ है; यह तो दिलों की मुलाक़ात है; दोस्ती नहीं देखती यह दिन है कि रात; इसमें तो सिर्फ वफ़ादारी और जज़्बात है। |
सालों बाद ना जाने क्या समय होगा; हम सब दोस्तों में से ना जाने कौन कहाँ होगा; फिर मिलना हुआ तो मिलेंगे ख्वाबों में; जैसे सूखे गुलाब मिलते हैं किताबों में। |
तन्हा था इस दुनिया की भीड़ में; सोचा था कोई नहीं है मेरी तक़दीर में; एक दिन फिर तुमने थाम लिया हाथ मेरा; फिर लगा कि बहुत ख़ास था इस हाथ की लकीर में। |
कुछ खूबसूरत से पल किस्सा बन जाते है; जाने कब जिंदगी का हिस्सा बन जाता है; कुछ लोग अपने होकर भी अपने नहीं होते; और कुछ बेगाने होकर भी जिंदगी का हिस्सा बन जाते है। |
दोस्तों पर तो शराफत का असर होता नहीं; इसलिए मैं आज आया हूँ उतर औकात पर। |
है खबर अच्छी कि आजा मुंह तेरा मीठा करें; नफरतें तेरी हुई हैं बा-खुशी दिल को कुबूल। |