झूठी मोहब्बत, वफा के वादे, साथ निभाने की कसमें; कितना कुछ करते हैं लोग, सिर्फ वक्त गुजारने के लिए! |
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से, हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए। |
हर धड़कन में एक राज़ होता है; बात को बताने का भी एक अंदाज़ होता है; जब तक ना लगे ठोकर बेवाफ़ाई की; हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है। |
मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर; जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला। |
ना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैं; और फिर समंदर में लौट जाती हैं; समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं; या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं। |
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है; हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है; तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग; हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है। |
काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें; उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें। |
वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था; खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था; महोब्बत में मिली थी नफरत उसे भी शायद; इसलिए हर शख्स को शायद बेवफा लिख रहा था। |
बेवफा तो वो खुद हैं, पर इल्ज़ाम किसी और को देते हैं; पहले नाम था मेरा उनके लबों पर, अब वो नाम किसी और का लेते हैं। |
एक ख़ुशी की चाह में हर ख़ुशी से दूर हुए हम; किसी से कुछ कह भी ना सके इतने मज़बूर हुए हम; ना आई उन्हें निभानी वफ़ा इस दौर-ए-इश्क़ में; और ज़माने की नज़र में बेवफ़ा के नाम से मशहूर हुए हम। |