साकी और शराब Hindi Shayari

  • गिरी मिली इक बोतल शराब तो यूँ लगा मुझे;<br/>
जैसे बिखरा पडा था इक रात का सुकून किसी का ।Upload to Facebook
    गिरी मिली इक बोतल शराब तो यूँ लगा मुझे;
    जैसे बिखरा पडा था इक रात का सुकून किसी का ।
  • अफ़ीमी आँखें, शर्बती गाल और शराबी होंठ;<BR/>
ख़ुदा ही जाने, नशे में हम हैं, या हम में नशा!
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    अफ़ीमी आँखें, शर्बती गाल और शराबी होंठ;
    ख़ुदा ही जाने, नशे में हम हैं, या हम में नशा!
  • एक तेरा ही नशा था जो शिकस्त दे गया मुझे;<br/>
वरना मयखाने भी तौबा करते थे मेरी मयकशी से।Upload to Facebook
    एक तेरा ही नशा था जो शिकस्त दे गया मुझे;
    वरना मयखाने भी तौबा करते थे मेरी मयकशी से।
  • मयखाने से पूछा आज, इतना सन्नाटा क्यों है,<br/>

मयखाना भी मुस्कुरा के बोला, लहू का दौर है साहब, अब शराब कौन पीता है!Upload to Facebook
    मयखाने से पूछा आज, इतना सन्नाटा क्यों है,
    मयखाना भी मुस्कुरा के बोला, लहू का दौर है साहब, अब शराब कौन पीता है!
  • तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है,<br/>
खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है,<br/>
फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों,<br/>
यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।Upload to Facebook
    तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है,
    खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है,
    फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों,
    यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।
  • कलम की नोक पे कहानी रखी है;<br/>
मैंने इक ग़ज़ल तुम्हारे सानी रखी है;<br/>
इन आँखों को अब क्या कहें हम;<br/>
दो प्यालों में शराब पुरानी रखी है!Upload to Facebook
    कलम की नोक पे कहानी रखी है;
    मैंने इक ग़ज़ल तुम्हारे सानी रखी है;
    इन आँखों को अब क्या कहें हम;
    दो प्यालों में शराब पुरानी रखी है!
  • ले जा के हमें साँकी जहाँ शाम ढले;<br/>
कर जन्नत नसीब खुदा जहाँ जाम चले!Upload to Facebook
    ले जा के हमें साँकी जहाँ शाम ढले;
    कर जन्नत नसीब खुदा जहाँ जाम चले!
  • लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे;<br/>
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया।Upload to Facebook
    लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे;
    आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया।
  • जब भी उमड़े हैँ सैलाब तेरे तसव्वुर के,<br/>
मयख़ाना गवाह है कैसे हर जाम बेअसर हुआ है!Upload to Facebook
    जब भी उमड़े हैँ सैलाब तेरे तसव्वुर के,
    मयख़ाना गवाह है कैसे हर जाम बेअसर हुआ है!
  • आये थे हँसते खेलते मैख़ाने में 'फ़िराक़';<br/>
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए!
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    आये थे हँसते खेलते मैख़ाने में 'फ़िराक़';
    जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए!
    ~ Firaq Gorakhpuri