न जाहिर हुई तुमसे और न ही बयां हुई हमसे; बस सुलझी हुई आँखो में उलझी रही मोहब्बत! |
तुम्हें कितनी मोहब्बत है... मालूम नहीं; मुझे लोग आज भी तेरी क़सम दे कर मना लेते हैं! |
काश कि खुदा ने दिल शीशे के बनाए होते; तोड़ने वाले के हाथों में ज़ख्म तो आए होते! |
निगाहें आपकी पहचान है हमारी, मुस्कुराहट आपकी शान है हमारी; रखना अपने आपको हिफाज़त से, क्योंकि सांसे आपकी जान है हमारी! |
तेरी यादों का हिसाब हर रोज़ कर लेता हूँ; थोड़ा हँस लेता हूँ थोडा रो लेता हूँ! |
गुमसुम से हो गए हैं आजकल सारे अल्फ़ाज मेरे; लगता है किसी चाहने वाले ने इन्हें पढ़ना छोड़ दिया! |
दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो, नफ़रत उन से करो जो भुलाना जानते हो; ग़ुस्सा उन से करो जो मनाना जानता हो, प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जानता हो! |
आग सूरज में होती है जलना ज़मीन को पड़ता है, मोहब्बत निगाहेँ करती हैँ तड़पना दिल को पड़ता है! |
किसी न किसी को किसी पर एतबार हो जाता है, एक अजनबी सा चेहरा ही यार हो जाता है; खूबियों से ही नहीं होती मोहब्बत सदा, किसी की कमियों से भी कभी प्यार हो जाता है। |
फूल शबनम में डूब जाते है, ज़ख्म मरहम में डूब जाते है; जब आते है ख़त तेरे, हम तेरे ग़म में डूब जाते है! |