काश एक दिन ऐसा भी आये; तू मुझ से लिपट कर कहे बस और नहीं रहा जाता तेरे बिना! |
तेरा नाम लूँ जुबां से तेरे आगे ये सिर झुका दूँ; मेरा इश्क़ कह रहा है, मैं तुझे खुदा बना दूँ! |
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है, तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है; खूबसूरती की इंतेहा है तू, तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है! |
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल; वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का! |
ये देखो फिर से आ गईं फूलों पे तितलियाँ; इक रोज़ वो भी आएगा अफ़्सोस मत करो! |
काश एक ख्वाहिश हो पूरी इबादत के बगैर; वो आकर गले लगा ले मेरी इज़ाज़त के बगैर! |
कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए; वो सो गया है मुझे ख़्वाब से जगाते हुए! |
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या; क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या! |
हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कौन, जब हम नहीं होंगे तो वफ़ा करेगा कौन; या रब मेरे महबूब को रखना तू सलामत, वर्ना मेरे जीने की दुआ करेगा कौन! |
इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा; अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है! |