अरमान Hindi Shayari

  • काश एक दिन ऐसा भी आये;<br/>
तू मुझ से लिपट कर कहे बस और नहीं रहा जाता तेरे बिना!Upload to Facebook
    काश एक दिन ऐसा भी आये;
    तू मुझ से लिपट कर कहे बस और नहीं रहा जाता तेरे बिना!
  • तेरा नाम लूँ जुबां से तेरे आगे ये सिर झुका दूँ;<br/>
मेरा इश्क़ कह रहा है, मैं तुझे खुदा बना दूँ!Upload to Facebook
    तेरा नाम लूँ जुबां से तेरे आगे ये सिर झुका दूँ;
    मेरा इश्क़ कह रहा है, मैं तुझे खुदा बना दूँ!
  • तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है, तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है;<br/>
खूबसूरती की इंतेहा है तू, तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है!Upload to Facebook
    तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है, तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है;
    खूबसूरती की इंतेहा है तू, तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है!
  • मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल;<br/>
वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का!Upload to Facebook
    मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल;
    वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का!
  • ये देखो फिर से आ गईं फूलों पे तितलियाँ;<br/>
इक रोज़ वो भी आएगा अफ़्सोस मत करो!Upload to Facebook
    ये देखो फिर से आ गईं फूलों पे तितलियाँ;
    इक रोज़ वो भी आएगा अफ़्सोस मत करो!
    ~ Bashir Badr
  • काश एक ख्वाहिश हो पूरी इबादत के बगैर;<br/>
वो आकर गले लगा ले मेरी इज़ाज़त के बगैर!Upload to Facebook
    काश एक ख्वाहिश हो पूरी इबादत के बगैर;
    वो आकर गले लगा ले मेरी इज़ाज़त के बगैर!
  • कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए;<br/>
वो सो गया है मुझे ख़्वाब से जगाते हुए!Upload to Facebook
    कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए;
    वो सो गया है मुझे ख़्वाब से जगाते हुए!
    ~ Saleem Kausar
  • आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या;<br/>
क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या!Upload to Facebook
    आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या;
    क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या!
    ~ Akhtar Sheerani
  • हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कौन,<br/>
जब हम नहीं होंगे तो वफ़ा करेगा कौन;<br/>
या रब मेरे महबूब को रखना तू सलामत,<br/>
वर्ना मेरे जीने की दुआ करेगा कौन!Upload to Facebook
    हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कौन,
    जब हम नहीं होंगे तो वफ़ा करेगा कौन;
    या रब मेरे महबूब को रखना तू सलामत,
    वर्ना मेरे जीने की दुआ करेगा कौन!
  • इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा;<br/>
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है!Upload to Facebook
    इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा;
    अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है!
    ~ Akhtar Sheerani