काश तकदीर भी होती जुल्फ की तरह, जब जब बिखरती, तब तब सवार लेते! |
तलाश में हूँ उसके, मगर अब तक नाकाम हूँ, ख़ुद में ख़ुदा ढूंढना भी, गज़ब की इबादत है! |
मुंतज़िर किसका हूँ टूटी हुयी दहलीज़ पर मैं; कौन आयेगा यहाँ कौन है आनेवाला! मुंतज़िर: इंतज़ार दहलीज़: दहरी |
दिल नाशिकेब, रूह परेशान, नज़र उदास; ये क्या बना दिया है तिरे इंतिज़ार ने! |
जहान-ए-रंग-ओ-बू में क्यों तलाश-ए-हुस्न हो मुझको; हजारों जलवे रख्शिंदा है मेरे दिल के पर्दे में! जहान-ए-रंग-ओ-बू = रंग और खुश्बू की दुनिया, जलवा = नज्जारा, दृश्य, तमाशा, रख्शिंदा = चमकने वाले, दीप्त, प्रकाशमान |
उदास आँखों में अपनी करार देखा है, पहली बार उसे बेक़रार देखा है; जिसे खबर ना होती थी मेरे आने-जाने की, उसकी आँखों में अब इंतज़ार देखा है! |
बहुत दिनों के बाद उसका कोरा कागज़ आया; शायर हूँ साहब, लिखी हुई खामोशी पढ़ ली मैंने! |
हम हैं मसरूफ़-ए-इंतिज़ाम मगर; जाने क्या इंतिज़ाम कर रहे हैं। |
मुद्दत से ख्वाब में भी नहीं नींद का ख्याल; हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतज़ार है। |
उम्र-ए-दराज मॉंग कर लाये थे चार दिन, दो आरजू में कट गये, दो इंतज़ार में; कितना है बदनसीब 'जफर', दफ्न के लिये दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में। Meaning: उम्र-ए-दराज - लंबी, तवील कू-ए-यार - प्रेमिका की गली |