मुद्दत के बाद आज उसे देख कर 'मुनीर'; इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया! |
इस कदर शुमार है दीदार-ए-तलब उनका; सौ बार भी मिल जाये... अधूरा लगता है! |
घायल कर के मुझे उसने पूछा, करोगे क्या फिर मोहब्बत मुझसे; लहू-लहू था दिल मेरा मगर, होंठों ने कहा बेइंतहा-बेइंतहा! |
उम्र का तकाज़ा है जो सर्दी-जुकाम रहता है; वरना फरवरी महीने में तो मुझे इश्क़ हुआ करता था! |
मत ढूंढ़ा कर मेरी आँखों में इश्क का हिसाब; तुम्हें चाहने का मैंने कभी हिसाब नहीं किया! |
कोई अच्छा वकील हो नजर में तो बताना मुझे; अपने दिल का कब्ज़ा वापिस लेना है किसी से! |
क़त्ल न करो, बस मोहब्बत करके छोड़ दो; किसी दिलजले से पूछ लो, ये भी सज़ा-ए-मौत है! |
मेरे जीने का सबब तेरे मुस्कुराने में है; इश्क़ का जज्बा तो, बस तेरे लिये मिट जाने में है! |
हमें मनाने का गज़ब तरीका है उनके पास; वो प्यार से एक नज़र देखते हैं और हम दिल हार जाते हैं! |
भरी मेहफिल में इश्क़ का ज़िक्र हुआ, हमने तो सिर्फ आप की ओर देखा और लोग वाह-वाह कहने लगे! |