गिला शिकवा Hindi Shayari

  • हम अपने दिल के मुकामात से हैं बेगाने;<br/>
इसी में वरना हरम है, इसी में बुतखाने!<br/><br/>

मुकामात = स्थान, घर;<br/>
बेगाना = अपरिचित, अनजान;<br/>
हरम  = काबा, खुदा का घर;<br/>  
बुतखाना - मंदिर, मूर्तिगृहUpload to Facebook
    हम अपने दिल के मुकामात से हैं बेगाने;
    इसी में वरना हरम है, इसी में बुतखाने!

    मुकामात = स्थान, घर;
    बेगाना = अपरिचित, अनजान;
    हरम = काबा, खुदा का घर;
    बुतखाना - मंदिर, मूर्तिगृह
    ~ Shad Azeembadi
  • दिल को बर्बाद किये जाती है गम बदस्तूर किये जाती है;<br/>
मर चुकीं सारी उम्मीदें, आरजू है कि जिये जाती है!<br/><br/>

बदस्तूर  =   पहले की तरह, यथावत, यथापूर्वUpload to Facebook
    दिल को बर्बाद किये जाती है गम बदस्तूर किये जाती है;
    मर चुकीं सारी उम्मीदें, आरजू है कि जिये जाती है!

    बदस्तूर = पहले की तरह, यथावत, यथापूर्व
    ~ Asar Lakhnavi
  • क्या बताऊँ किस क़दर ज़ंजीर-ए-पा साबित हुए;<br/>
चंद तिनके जिन को अपना आशियाँ समझा था मैं!<br/><br/>
ज़ंजीर-ए-पा = पैरों की ज़ंज़ीरUpload to Facebook
    क्या बताऊँ किस क़दर ज़ंजीर-ए-पा साबित हुए;
    चंद तिनके जिन को अपना आशियाँ समझा था मैं!

    ज़ंजीर-ए-पा = पैरों की ज़ंज़ीर
    ~ Jigar Moradabadi
  • लुत्फ-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार;<br/>
दिल क्या उजड़ गया कि जमाना उजड़ गया!<br/><br/>
लुत्फ: आनन्द, मजाUpload to Facebook
    लुत्फ-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार;
    दिल क्या उजड़ गया कि जमाना उजड़ गया!

    लुत्फ: आनन्द, मजा
    ~ Arzoo Lakhnavi
  • रहें न रिंद ये वाइज़ के बस की बात नहीं;<br/>
तमाम शहर है दो-चार-दस की बात नहीं।Upload to Facebook
    रहें न रिंद ये वाइज़ के बस की बात नहीं;
    तमाम शहर है दो-चार-दस की बात नहीं।
    ~ Kaifi Azami
  • एक उम्र वो थी कि जादू में भी यक़ीन था;<br/>
एक उम्र ये है कि हक़ीक़त पर भी शक़ है।
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    एक उम्र वो थी कि जादू में भी यक़ीन था;
    एक उम्र ये है कि हक़ीक़त पर भी शक़ है।
  • रूठूँगा अगर तुझसे तो इस कदर रूठूँगा कि,<br/>
ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी।Upload to Facebook
    रूठूँगा अगर तुझसे तो इस कदर रूठूँगा कि,
    ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी।
  • गिर कर उठने तक तो हाथ पकड़े रखा उसने मेरा,<br/>
जरा सँभल कर चलना सीखा तो फिर से खो गए भीड़ में!Upload to Facebook
    गिर कर उठने तक तो हाथ पकड़े रखा उसने मेरा,
    जरा सँभल कर चलना सीखा तो फिर से खो गए भीड़ में!
  • मेरे फन को तराशा है सभी के नेक इरादों ने;<br/>
किसी की बेवफाई ने, किसी के झूठे वादों ने।Upload to Facebook
    मेरे फन को तराशा है सभी के नेक इरादों ने;
    किसी की बेवफाई ने, किसी के झूठे वादों ने।
  • कहाँ दूर हट के जायें, हम दिल की सरजमीं से,<br/>
दोनों जहान की सैरें, हासिल हैं सब यहीं से!<br/><br/>


सरजमीं  =  पृथ्वी, जमीन, देश, मुल्कUpload to Facebook
    कहाँ दूर हट के जायें, हम दिल की सरजमीं से,
    दोनों जहान की सैरें, हासिल हैं सब यहीं से!

    सरजमीं = पृथ्वी, जमीन, देश, मुल्क
    ~ Jigar Moradabadi