कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ; दिल को किस बात ने उदास किया! |
गिरते हुऐ "अश्क" की "कीमत" "न" पूछना; इश्क़" के हर बूंद में "लाखों" "सवाल" होते हैं! |
शर्मिंदा होंगे, जाने भी दो इम्तिहान को; रखेगा तुम को कौन अज़ीज़, अपनी जान से! |
इतना दर्द तो मुझे मरने से भी नही होगा; जितना दर्द तुम्हारी खामोशी ने दिया है! |
हम तो फूलों की तरह, अपनी आदत से बेबस हैं; तोडने वाले को भी, खुशबू की सजा देते हैं! |
बुलंदीयो को पाने कि ख्वाईश तो बहुत हे मेरी; मगर ओरो को रोंदने का हुनर कहा से लाऊ! |
इतने कहाँ मसरूफ हो गए हो आजकल; की अब दिल दुखाने भी नहीं आते! |
एक उम्र से तराश रहा हूँ खुद को, कि हो जाऊं लोगो के मुताबिक; पर हर रोज ये जमाना मुझमे, एक नया ऐब निकाल लेता है! |
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब; अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा! |
सुना था लोगों से वक्त बदलता है; आज वक्त ने बताया लोग बदलते हैं! |