इश्क़ और दोस्ती मेरी ज़िंदगी के दो जहान हैं; इश्क़ मेरी रूह तो दोस्ती मेरा ईमान है; इश्क़ पे कर दूँ फ़िदा अपनी ज़िंदगी; मगर दोस्ती पे तो मेरा इश्क़ भी कुर्बान है। |
होठों पर उल्फत के फ़साने नहीं आते; जो बीत गए फिर वो दीवाने नहीं आते; दोस्त ही होते हैं दोस्तों के हमदर्द; कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते। |
एहसास बहुत होगा जब छोड़ के जायेंगे; रोयेंगे बहुत मगर आँसू नहीं आयेंगे; जब साथ ना दे कोई तो आवाज़ हमे देना; आसमान पर भी होंगे तो लौट आयेंगे। |
दाेस्ती, ना कभी इम्तिहान लेती है; ना कभी इम्तिहान देती है; दाेस्ती ताे वाे है, जाे बारिश में भीगे चेहरे पर भी; आँसुओं काे पहचान लेती है। |
नब्ज़ मेरी देखी और बीमार लिख दिया; रोग मेरा उसने दोस्तों का प्यार लिख दिया; कर्ज़दार रहेंगे उम्र भर हम उस हकीम के; जिसने दोस्तों का साथ लिख दिया। |
यहाँ कौन रोता है किसी के लिए सब अपनी ही किसी बात पर रोते हैं; इस दुनिया में मिलता है सच्चा साथी मुश्किल से बाक़ी सब तो मतलब के यार होते हैं। |
गुनाह करके सजा से डरते हैं; ज़हर पी कर दवा से डरते हैं; दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं हमें; हम तो दोस्तों के ख़फ़ा होने से डरते हैं। |
दिल की बात दिल में दबाना ठीक नहीं, हम तो मान चुके हैं दिल से दोस्त तुम्हें ये राज़ ज्यादा देर तक छुपाना ठीक नहीं। |
ज़िक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का; हमने खुद को खुशनसीब पाया; तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की; खुदा खुद दोस्त बनकर चला आया। |
गुनाह करके सज़ा से डरते है; पी के ज़हर दवा से डरते हैं; दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं हमको; हम तो दोस्तों की बेवफाई से डरते है। |