आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना, वो बाग की बहारें वो सब का चहचहाना; आज़ादियां कहां वो सब अपने घोंसले की, अपनी खुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना! |
तेरी यादों को पसन्द है मेरी आँखों की नमी; हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी! |
पूछता है जब कोई मुझसे कि दुनिया में अब मोहब्बत बची है कहाँ; मुस्कुरा देता हूँ मैं और याद आ जाती है माँ! |
तुझे पल भर को भी भूल जाने की कोशिश कभी कामयाब न हुई; तेरी याद शाख-ऐ-गुलाब थी जो हवा चली तो महक उठी! |
बड़ा अजीब सा ज़हर था उसकी याद में; सारी उम्र गुजर गयी मुझे मरते मरते! |
किसी की याद में पलकों पर जो मचलते हैं; यह वह चराग हैं जो आँधियों में भी जलते हैं! |
आप के बाद हर घड़ी हम ने; आप के साथ ही गुज़ारी है! |
बहुत याद आते हैं तुम्हारे साथ बिताए हुए पल; वरना मुझे मर - मर के जीने का कोई शौंक नहीं! |
जब हम आपको याद करते हैं, रब से यही फरियाद करते हैं। हमारी भी उम्र लग जाये आपको, क्योंकि खुद से ज्यादा हम आपको प्यार करते हैं। |
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल, उदास करती हैं मुझ को निशानियाँ तेरी! |