हुस्न Hindi Shayari

  • अल्लाह-रे तेरे सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ की कशिश;<br/>
जाता है जी उधर ही खिंचा काएनात का!Upload to Facebook
    अल्लाह-रे तेरे सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ की कशिश;
    जाता है जी उधर ही खिंचा काएनात का!
    ~ Mushafi Ghulam Hamdani
  • उनकी जुल्फों की खूबसूरती और बढ़ गई;<br/>
जब एक गुलाब उनके बालो में सज गई!Upload to Facebook
    उनकी जुल्फों की खूबसूरती और बढ़ गई;
    जब एक गुलाब उनके बालो में सज गई!
  • होठ नहीं, आँखे दगा करती हैं;<br/>
यहीं तो छिपे इश्क को बयाँ करती हैं!Upload to Facebook
    होठ नहीं, आँखे दगा करती हैं;
    यहीं तो छिपे इश्क को बयाँ करती हैं!
  • मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ;<br/>
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता!Upload to Facebook
    मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ;
    वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता!
  • बिना पूछे ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियाँ;<br/>
कुछ आँखें इतनी हाज़िर-जवाब होती हैं।Upload to Facebook
    बिना पूछे ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियाँ;
    कुछ आँखें इतनी हाज़िर-जवाब होती हैं।
  • हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है;<br/>
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।Upload to Facebook
    हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है;
    वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
  • खुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नकाब में;<br/>
बेवजह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया!Upload to Facebook
    खुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नकाब में;
    बेवजह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया!
  • गिरता जाता है चेहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्ता;<br/>
निकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता!Upload to Facebook
    गिरता जाता है चेहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्ता;
    निकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता!
  • आज तेरे चेहरे की बात हो जाए;<br/>
जिक्र-ए- गुलाब रहने दो!Upload to Facebook
    आज तेरे चेहरे की बात हो जाए;
    जिक्र-ए- गुलाब रहने दो!
  • बहुत तारीफ करता था मैं उसकी बिंदी की;<br/>
लफ्ज़ कम पड़ गए जब उसने झुमके पहने!Upload to Facebook
    बहुत तारीफ करता था मैं उसकी बिंदी की;
    लफ्ज़ कम पड़ गए जब उसने झुमके पहने!