पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह; ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ! |
भोली बातों पे तेरी दिल को यकीन; पहले आता था अब नहीं आता! |
भोले बन कर हाल न पूछ बहते हैं अश्क तो बहने दो; जिस से बढ़े बेचैनी दिल की ऐसी तसल्ली रहने दो! |
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी; झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी! |
लुत्फ-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार; दिल क्या उजड़ गया कि जमाना उजड़ गया! लुत्फ: आनन्द, मजा |