वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का; जो पिछली रात से याद आ रहा है! |
जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए; तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया! |
ये सुब्ह की सफ़ेदियाँ ये दोपहर की ज़र्दियाँ; अब आईने में देखता हूँ मैं कहाँ चला गया! |
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में; आईने आँखों के धुँधले हो गए! |
आज देखा है तुझ को देर के बाद; आज का दिन गुज़र न जाए कहीं! |
उस ने मंज़िल पे ला के छोड़ दिया; उम्र भर जिस का रास्ता देखा! |
जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर'; वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं! |
दिल धड़कने का सबब याद आया; वो तेरी याद थी अब याद आया! |
आरज़ू है कि तू यहाँ आए; और फिर उम्र भर न जाए कहीं! |
दयार-ए-दिल की राह में चराग़ सा जला गया; मिला नहीं तो क्या हुआ, वो शक़्ल तो दिखा गया! |