Shahryar Hindi Shayari

  • शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को;</br>
मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को!Upload to Facebook
    शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को;
    मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को!
    ~ Shahryar
  • जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने; <br/>
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने!Upload to Facebook
    जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने;
    इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने!
    ~ Shahryar
  • कौन सी बात है जो उस में नहीं,<br/>
उस को देखे मेरी नज़र से कोई।Upload to Facebook
    कौन सी बात है जो उस में नहीं,
    उस को देखे मेरी नज़र से कोई।
    ~ Shahryar
  • जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने;<br />
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने।Upload to Facebook
    जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने;
    इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने।
    ~ Shahryar
  • नींद की ओस से...

    नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे;
    जागना जिसका मुकद्दर हो वो सोये कैसे;

    रेत दामन में हो या दश्त में बस रेत ही है;
    रेत में फस्ल-ए-तमन्ना कोई बोये कैसे;

    ये तो अच्छा है कोई पूछने वाला न रहा;
    कैसे कुछ लोग मिले थे हमें खोये कैसे;

    रूह का बोझ तो उठता नहीं दीवाने से;
    जिस्म का बोझ मगर देखिये ढोये कैसे;

    वरना सैलाब बहा ले गया होगा सब कुछ;
    आँख की ज़ब्त की ताकीद है रोये कैसे।
    ~ Shahryar
  • हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है;
    अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें।
    ~ Shahryar
  • ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है;
    हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है।
    ~ Shahryar
  • वो जो वह एक अक्स है सहमा हुआ डरा हुआ;
    देखा है उसने गौर से सूरज को डूबता हुआ;

    तकता हु कितनी देर से दरिया को मैं करीब से;
    रिश्ता हरेक ख़त्म क्या पानी से प्यास का हुआ;

    होठो से आगे का सफर बेहतर है मुल्तवी करे;
    वो भी है कुछ निढाल सा मैं भी हु कुछ थका हुआ;

    कल एक बरहना शाख से पागल हवा लिपट गयी;
    देखा था खुद ये सानिहा, लगता है जो सुना हुआ;

    पैरो के निचे से मेरे कब की जमीं निकल गयी;
    जीना है और या नहीं अब तक न फैसला हुआ।
    ~ Shahryar
  • आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई;
    आँसुओं में भीग जाने की हवस पूरी हुई;
    आ रही है जिस्म की दीवार गिरने की सदा;
    एक अजब ख्वाहिश थी जो अब के बरस पूरी हुई।
    ~ Shahryar
  • ऐसे हिज्र के मौसम...

    ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं;
    तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं;

    जज़्ब करे क्यों रेत हमारे अश्कों को;
    तेरा दामन तर करने अब आते हैं;

    अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी वरना;
    हम को बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं;

    जागती आँखों से भी देखो दुनिया को;
    ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं;

    काग़ज़ की कश्ती में दरिया पार किया;
    देखो हम को क्या-क्या करतब आते हैं।
    ~ Shahryar