अन्य Hindi Shayari

  • अंधेरा इतना है कि शहर के मुहाफिज़ को,<br/>
हर एक रात कोई घर जलाना पड़ता है!Upload to Facebook
    अंधेरा इतना है कि शहर के मुहाफिज़ को,
    हर एक रात कोई घर जलाना पड़ता है!
    ~ Azeez Ahmad Khan Shafaq
  • जुबां तीखी हो तो खंजर से गहरा ज़ख्म देती  है,<br/>
और मीठी हो तो वैसे ही कत्ल कर देती है!Upload to Facebook
    जुबां तीखी हो तो खंजर से गहरा ज़ख्म देती है,
    और मीठी हो तो वैसे ही कत्ल कर देती है!
  • खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तक़दीर से पहले;<br/>
ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है!Upload to Facebook
    खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तक़दीर से पहले;
    ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है!
    ~ Allama Iqbal
  • सीढ़ियाँ उनके लिए बनी हैं जिन्हें छत पर जाना है;<br/>
लेकिन जिनकी नज़र आसमान पर हो उन्हें तो रास्ता ख़ुद बनाना है!Upload to Facebook
    सीढ़ियाँ उनके लिए बनी हैं जिन्हें छत पर जाना है;
    लेकिन जिनकी नज़र आसमान पर हो उन्हें तो रास्ता ख़ुद बनाना है!
  • थी ख़बर गर्म कि 'ग़ालिब' के उड़ेंगे पुर्ज़े;<br/>
देखने हम भी गए थे पर तमाशा न हुआ!Upload to Facebook
    थी ख़बर गर्म कि 'ग़ालिब' के उड़ेंगे पुर्ज़े;
    देखने हम भी गए थे पर तमाशा न हुआ!
  • चंद सिक्कों में बिकता है इंसान का ज़मीर यहां;<br/>
कौंन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है!Upload to Facebook
    चंद सिक्कों में बिकता है इंसान का ज़मीर यहां;
    कौंन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है!
  • इश्क़वालों में बड़प्पन बहुत ज़रूरी है;<br/>
छोटे दिल मे महबूब बसाये नहीँ जातें!Upload to Facebook
    इश्क़वालों में बड़प्पन बहुत ज़रूरी है;
    छोटे दिल मे महबूब बसाये नहीँ जातें!
  • नए रिश्ते जो न बन पाएं तो मलाल मत करना;<br/>
पुराने टूटने न पाएं बस इतना ख्याल रखना!Upload to Facebook
    नए रिश्ते जो न बन पाएं तो मलाल मत करना;
    पुराने टूटने न पाएं बस इतना ख्याल रखना!
  • परख अगर हीरे की करनी है तो अंधेरे का इन्तजार करो;<br/>
वरना धूप में तो काँच के टुकड़े भी चमकते हैं!Upload to Facebook
    परख अगर हीरे की करनी है तो अंधेरे का इन्तजार करो;
    वरना धूप में तो काँच के टुकड़े भी चमकते हैं!
  • ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़;<br/>
डरते हैं ऐ ज़मीन तेरे आदमी से हम!Upload to Facebook
    ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़;
    डरते हैं ऐ ज़मीन तेरे आदमी से हम!