न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर; तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है! |
ढूँढोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम; जो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम! |
मैं उन्हीं ख़ूबियों का मालिक हूँ; आप जिनको कमी समझते हैं! |
कुछ रोते में कट गयी, कुछ आहों में कट गयी; कुछ सोते में कट गयी, कुछ गुनाहों में कट गयी; मंज़िल पे चलने वाले मंज़िल पे जा लगे; राहें बदलने वालों की राहों में कट गयी! |
अगर पाना है मंजिल तो अपना रहनुमा खुद बनो; वो अक्सर भटक जाते हैं जिन्हें सहारा मिल जाता है! |
जिन के होंटों पे हँसी पाँव में छाले होंगे; वही लोग अपनी मंजिल को पाने वाले होंगे! |
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा! |
उठो तो ऐसे उठो कि फक्र हो बुलंदी को; झुको तो ऐसे झुको बंदगी भी नाज़ करे! |
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी; हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है! |
चूम लो हर मुश्किल को अपना मान कर; क्योंकि ज़िन्दगी कैसी भी है... है तो अपनी ही! |