उन्होंने कहा, बहुत बोलते हो, अब क्या बरस जाओगे; हमने कहा, चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे! |
निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया; भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का! |
मेहरबान होकर बुला लो मुझे जिस वक़्त; मैं गया वक़्त नहीं कि फिर आ भी ना सकूँ! |
वो शायद मतलब से मिलते हैं; मुझे तो मिलने से मतलब है! |
घर अपना बना लेते हैं, जो दिल में हमारे; हम से वो परिंदे, उड़ाये नहीं जाते! |
मुद्दतों बाद वो मिली भी तो बैंक में; अब यारों तुम ही बताओ मोहब्बत करते कि नोट बदलते! |
तलाश सिर्फ सकून की होती है; चाहे रिश्तों का नाम कुछ भी हो! |
ऐ दिल चल एक सौदा करते हैं; तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे; मैं उसके लिए तड़पना छोड़ दूँ! |
एक अलग सी पहचान बनाने की आदत है हमें; जख्म हो जितना गहरा उतना मुस्कुराने की आदत है हमें! |
वो इत्रदान सा लहज़ा मेरे बुजुर्गों का; रची बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुशबू! |