फिर उड़ गयी नींद ये सोच कर, सरहद पर बहा वो ख़ून मेरी नींद के लिए था। |
नज़रें झुका लेने से भला सादगी का क्या ताल्लुक़; शराफ़त तब झलकती है जब नीयत में पर्दा हो! |
सारा जहान उसी का है, जो मुस्कुराना जानता है; रौशनी भी उसी की है, जो शमा जलाना जानता है; हर जगह मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारे हैं; लेकिन ईश्वर तो उसी का है, जो सिर झुकाना जानता है! |
मशहूर होने का शौंक किसे है; मुझे तो मेरे अपने ही ठीक से पहचान लें, तो भी काफ़ी है! |
मयख़ाने से बढ़कर कोई ज़मीन नहीं; जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं ज़मीर नहीं! |
कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को; याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं! |
तुझसे बात करके ही चेहरे का रंग बदल जाता है; और लोग पूछते हैं दवा का नाम क्या है! |
क्यों हर शख्स की गलतियाँ गिनाते हो दोस्तों; इस जहान में इंसान रहते हैं भगवान नहीं! |
न जाने किसने पढ़ी है मेरे हक़ में दुआ; आज तबियत में जरा आराम सा है! |
रात तो क्या, पूरी जिन्दगी भी जाग कर गुजार दूँ तेरी खातिर; बस तू एक बार कह कर तो देख कि, मुझे तेरे बिना नींद नहीं आती! |