सिकवा शिकायत नही उनसे मगर; अपना दिल कहता है बदल गये वोह! |
नसीब जिनके ऊंचे और मस्त होते हैं; इम्तिहान भी उनके जबरदस्त होते है! |
मेरी ज़िन्दगी में खुशियाँ तेरे बहाने से हैं; आधी तुझे सताने से हैं आधी तुझे मनाने से हैं! |
मैं आज कल उनकी आँखों में नही देखता; कहते हैं, रमजान में हर नशा हराम होता है! |
हक़ीक़त रूबरू हो तो अदाकारी नही चलती; ख़ुदा के सामने बन्दों की मक्कारी नही चलती! |
हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख; हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ, मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रख! |
ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में; पर लोग कहते हैं काफ़िला हूँ मैं! |
पल भर की बातें फिर, महिनों की दूरी; आदत तुम्हारी भी तनख्वाह,सी हो गई! |
दूर रहकर भी जो समाया है मेरी रूह में; पास वालों पर वो शख्स कितना असर रखता होगा! |
यूँ लुटाते न फिरो मोतियों वाले मौसम; ये नगीने तो हैं रातों को सजाने के लिए! |