तमन्ना तेरे जिस्म की होती तो छीन लेते दुनिया से, इश्क तेरी रूह से है इसलिए खुदा से मांगते हैं तुझे। |
शब्दों को होठों पर रखकर दिल के भेद ना खोलो, मैं आँखों से सुन सकता हूँ तुम आँखों से बोलो। |
यह कौन शरमा रहा है, यूँ फ़ुर्सत में याद कर के, कि हिचकियाँ आना तो चाहती हैं, पर हिच-किचा रही हैं। |
जिसका वजूद नहीं, वह हस्ती किस काम की, जो मजा न दे, वह मस्ती किस काम की, जहाँ दिल न लगे, वो बस्ती किस काम की, हम आपको याद न करें, तो फिर ये मोहब्बत किस काम की। |
नकाब तो उनका सिर से लेकर पाँव तक था, मगर आँखें बता रही थी कि मोहब्बत की शौकीन वो भी थी। |
फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ मैं, अपना अंदाज़ औरों से जुदा रखता हूँ; लोग मंदिर मस्जिदों में जाते हैं, मैं अपने दिल में ख़ुदा रखता हूँ। |
कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ, कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे। |
माना कि उनमें अलग कुछ भी नहीं है, मगर जो बात उसमें है किसी और में नही है। |
हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब है, तो उसने अपने होठो से सारे वहम तोड़ दिए। |
अदा है, ख्वाब है, तकसीम है, तमाशा है, मेरी इन आँखों में एक शख्स बेतहाशा है। |