गिला शिकवा Hindi Shayari

  • कोई मुझ से पूछ बैठा `बदलना` किसे कहते हैं?<br />
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ?<br />
`मौसम` की या `अपनों` की।Upload to Facebook
    कोई मुझ से पूछ बैठा "बदलना" किसे कहते हैं?
    सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ?
    "मौसम" की या "अपनों" की।
  • एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है;
    जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है;
    मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं;
    मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है।
  • हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया;<br />
औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया;<br />
पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को;<br />
औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह - वाह किया।Upload to Facebook
    हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया;
    औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया;
    पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को;
    औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह - वाह किया।
  • यह न पूछ कि शिकायतें कितनी हैं तुझ से;
    यह बता कि तेरा कोई और सितम बाकी तो नहीं।
  • मोहब्बत है कि नफरत है, कोई इतना समझाए;<br />
कभी मैं दिल से लड़ती हूँ कभी दिल मुझ से लड़ता है।Upload to Facebook
    मोहब्बत है कि नफरत है, कोई इतना समझाए;
    कभी मैं दिल से लड़ती हूँ कभी दिल मुझ से लड़ता है।
  • 'दर्द' के मिलने से ऐ यार बुरा क्यों माना;
    उस को कुछ और सिवा दीद के मंज़ूर न था।
    ~ Khwaja Mir Dard
  • वादा करके वो निभाना भूल जाते हैं;<br />
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं;<br />
ऐसी आदत हो गयी है अब तो उस हरजाई की;<br />
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।Upload to Facebook
    वादा करके वो निभाना भूल जाते हैं;
    लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं;
    ऐसी आदत हो गयी है अब तो उस हरजाई की;
    रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।
  • मेरा यही अंदाज इस जमाने को खलता है;
    कि इतना पीने के बाद भी सीधा कैसे चलता है!
  • सब फ़साने हैं दुनियादारी के,<br />
किस से किस का सुकून लूटा है;<br />
सच तो ये है कि इस ज़माने में,<br />
मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है।Upload to Facebook
    सब फ़साने हैं दुनियादारी के,
    किस से किस का सुकून लूटा है;
    सच तो ये है कि इस ज़माने में,
    मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है।
  • ज़िंदा रहे तो क्या है, जो मर जायें हम तो क्या;
    दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जायें हम तो क्या;
    हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने;
    एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।