Hindi Shayari

  • हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे;
    बहारें हमको ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे..!
    ~ Majrooh Sultanpuri
  • मुझे कहाँ फ़ुर्सत है कि मैं मौसम सुहाना देखूँ;
    आपसे मेरी नज़र हटे तो मैं ये ज़माना देखूँ!
    ~ सुनंदा शर्मा
  • वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे;
    चाँद कहते हैं किसे ख़ूब समझते होंगे!
    इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी;
    लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे!
    ~ बशीर बद्र
  • इश्क़ वालों को फ़ुर्सत कहाँ, कि वो गम लिखेंगे;
    अरे कलम इधर लेकर आओ, बेवफ़ा के बारे में हम लिखेंगे!
    ~ आरती सिंह
  • नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने;
    क्या बने बात जहाँ बात बनाए न बने!
    खेल समझा है कहीं छोड़ न दे भूल न जाए;
    काश यूँ भी हो कि बिन मेरे सताए न बने!
    बोझ वो सर से गिरा है कि उठाए न उठे;
    काम वो आन पड़ा है कि बनाए न बने!
    इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब';
    कि लगाए न लगे और बुझाए न बने!
    ~ मिर्ज़ा ग़ालिब
  • तुझ से बिछड़ कर भी ज़िंदा था;
    मर मर कर ये ज़हर पिया है!
    चुप रहना आसान नहीं था;
    बरसों दिल का ख़ून किया है!
    जो कुछ गुज़री जैसी गुज़री;
    तुझ को कब इल्ज़ाम दिया है!
    अपने हाल पे ख़ुद रोया हूँ;
    ख़ुद ही अपना चाक सिया है!
    कितनी जाँकाही से मैं ने;
    तुझ को दिल से महव किया है!
    सन्नाटे की झील में तू ने;
    फिर क्यों पत्थर फेंक दिया है!
    ~ अहमद फ़राज़
  • आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी;
    अब किसी बात पर नहीं आती!
    है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ;
    वर्ना क्या बात कर नहीं आती!!
    ~ मिर्ज़ा ग़ालिब
  • बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे;
    होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे!
    ~ मिर्ज़ा ग़ालिब
  • मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त;
    मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ!
    ~ मिर्ज़ा ग़ालिब
  • इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना;
    दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना!
    ~ मिर्ज़ा ग़ालिब