अरमान Hindi Shayari

  • काश के वो लोट आए मुझसे ये कहने;<br/>
कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले!Upload to Facebook
    काश के वो लोट आए मुझसे ये कहने;
    कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले!
  • न जी भर के देखा न कुछ बात की;<br/>
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की!Upload to Facebook
    न जी भर के देखा न कुछ बात की;
    बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की!
  • मैं वक़्त बन जाऊं तू बन जाना कोई लम्हा;<br/>
मैं तुझमें गुजर जाऊं तू मुझमें गुजर जाना!Upload to Facebook
    मैं वक़्त बन जाऊं तू बन जाना कोई लम्हा;
    मैं तुझमें गुजर जाऊं तू मुझमें गुजर जाना!
  • इक छोटी सी ही तो हसरत है इस दिल ए नादान की;<br/>
कोई चाह ले इस कदर कि खुद पर गुमान हो जाए!Upload to Facebook
    इक छोटी सी ही तो हसरत है इस दिल ए नादान की;
    कोई चाह ले इस कदर कि खुद पर गुमान हो जाए!
  • काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर;<br/>
वो आके गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर!Upload to Facebook
    काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर;
    वो आके गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर!
  • आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है,<br/>
इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है,<br/>
कोई संभाले बहक रहे है मेरे कदम,<br/>
वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है!Upload to Facebook
    आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है,
    इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है,
    कोई संभाले बहक रहे है मेरे कदम,
    वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है!
  • ख्वाहिश तो थी मिलने की पर कभी कोशिश नहीं की;<br/>
सोचा जब खुदा माना है उसको तो बिन देखे ही पूजेंगे!Upload to Facebook
    ख्वाहिश तो थी मिलने की पर कभी कोशिश नहीं की;
    सोचा जब खुदा माना है उसको तो बिन देखे ही पूजेंगे!
  • मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ;<br/>मगर रोज़ सुबह यह मुझसे पहले जाग जाती हैं!Upload to Facebook
    मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ;
    मगर रोज़ सुबह यह मुझसे पहले जाग जाती हैं!
    ~ Gulzar
  • आरज़ू है कि तू यहाँ आए;<br/>
और फिर उम्र भर न जाए कहीं!Upload to Facebook
    आरज़ू है कि तू यहाँ आए;
    और फिर उम्र भर न जाए कहीं!
    ~ Nasir Kazmi
  • हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले;<br/>बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले!Upload to Facebook
    हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले;
    बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले!
    ~ Mirza Ghalib