अश्क Hindi Shayari

  • ख्यालों में मेरे कभी आप भी खोये होंगे,<br/> 
खुली आँखों से कभी आप भी सोये होंगे,<br/>  
माना हँसी अदा है गम भुलाने की लेकिन,<br/>  
हँसते-हँसते कभी आप भी रोये होंगे।Upload to Facebook
    ख्यालों में मेरे कभी आप भी खोये होंगे,
    खुली आँखों से कभी आप भी सोये होंगे,
    माना हँसी अदा है गम भुलाने की लेकिन,
    हँसते-हँसते कभी आप भी रोये होंगे।
  • आँखों से छलकती मोहब्बत को यूँ अल्फ़ाज़ मिलते है,<br/>
जो गिरे आँखों से दो बुँदे वो भी तो प्यार बयां करते है!Upload to Facebook
    आँखों से छलकती मोहब्बत को यूँ अल्फ़ाज़ मिलते है,
    जो गिरे आँखों से दो बुँदे वो भी तो प्यार बयां करते है!
  • कतरे - कतरे की प्यास बुझाई है;<br/>
हमने आँख सहरा में भी बरसाई है!Upload to Facebook
    कतरे - कतरे की प्यास बुझाई है;
    हमने आँख सहरा में भी बरसाई है!
  • उभर फिर पुराना इक ग़म आ गया है;<br/>
आँखों में बरसात का मौसम आ गया है!Upload to Facebook
    उभर फिर पुराना इक ग़म आ गया है;
    आँखों में बरसात का मौसम आ गया है!
  • दिल से तो कई मौसम गुज़र जाते हैं;<br/>
आँखों से मगर  बरसात नहीं जाती!Upload to Facebook
    दिल से तो कई मौसम गुज़र जाते हैं;
    आँखों से मगर बरसात नहीं जाती!
  • रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने, मगर;<br/>
इश्क में पागल थे आँसू, ख़ुदकुशी करते चले गए!
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    रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने, मगर;
    इश्क में पागल थे आँसू, ख़ुदकुशी करते चले गए!
  • सोचा न था जिंदगी में​ ऐसे भी फ़साने होंगे;<br/>
रोना भी जरूरी होगा और आसूँ भी छुपाने होंगे।Upload to Facebook
    सोचा न था जिंदगी में​ ऐसे भी फ़साने होंगे;
    रोना भी जरूरी होगा और आसूँ भी छुपाने होंगे।
  • जो ज़रा किसी ने छेड़ा छलक पड़ेंगे आँसू;<BR/>
कोई मुझ से यूँ न पूछे तेरा दिल उदास क्यों है!Upload to Facebook
    जो ज़रा किसी ने छेड़ा छलक पड़ेंगे आँसू;
    कोई मुझ से यूँ न पूछे तेरा दिल उदास क्यों है!
  • मेरी आंखों में आँसू हैं ना होठों पे तबस्सुम है;<br/>
समझ में क्या किसी की आयेगी तर्ज़-ए-फुगां मेरी! Upload to Facebook
    मेरी आंखों में आँसू हैं ना होठों पे तबस्सुम है;
    समझ में क्या किसी की आयेगी तर्ज़-ए-फुगां मेरी!
    ~ Shamsi Meenai
  • रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल;<br/>
जब आँख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है।Upload to Facebook
    रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल;
    जब आँख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है।
    ~ Mirza Ghalib