ख्यालों में मेरे कभी आप भी खोये होंगे, खुली आँखों से कभी आप भी सोये होंगे, माना हँसी अदा है गम भुलाने की लेकिन, हँसते-हँसते कभी आप भी रोये होंगे। |
आँखों से छलकती मोहब्बत को यूँ अल्फ़ाज़ मिलते है, जो गिरे आँखों से दो बुँदे वो भी तो प्यार बयां करते है! |
कतरे - कतरे की प्यास बुझाई है; हमने आँख सहरा में भी बरसाई है! |
उभर फिर पुराना इक ग़म आ गया है; आँखों में बरसात का मौसम आ गया है! |
दिल से तो कई मौसम गुज़र जाते हैं; आँखों से मगर बरसात नहीं जाती! |
रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने, मगर; इश्क में पागल थे आँसू, ख़ुदकुशी करते चले गए! |
सोचा न था जिंदगी में ऐसे भी फ़साने होंगे; रोना भी जरूरी होगा और आसूँ भी छुपाने होंगे। |
जो ज़रा किसी ने छेड़ा छलक पड़ेंगे आँसू; कोई मुझ से यूँ न पूछे तेरा दिल उदास क्यों है! |
मेरी आंखों में आँसू हैं ना होठों पे तबस्सुम है; समझ में क्या किसी की आयेगी तर्ज़-ए-फुगां मेरी! |
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल; जब आँख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है। |