ज़िन्दगी Hindi Shayari

  • ग़म न कर जिंदगी बहुत बड़ी है,<br/>
यह महफ़िल तेरे लिए ही सजी है,<br/>
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,<br/>
तकदीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है!Upload to Facebook
    ग़म न कर जिंदगी बहुत बड़ी है,
    यह महफ़िल तेरे लिए ही सजी है,
    बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,
    तकदीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है!
  • मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो वरना;<br/>
ज़िंदगी रुलाने के मौके तलाश लेगी!Upload to Facebook
    मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो वरना;
    ज़िंदगी रुलाने के मौके तलाश लेगी!
  • कदमो को बाँध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें;<br/>
रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूँ मैं!Upload to Facebook
    कदमो को बाँध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें;
    रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूँ मैं!
  • नजरिया बदल के देख, हर तरफ नजराने मिलेंगे;<br/>
ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे।Upload to Facebook
    नजरिया बदल के देख, हर तरफ नजराने मिलेंगे;
    ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे।
  • तुम ज़माने की राह से आए; <br/>
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का! Upload to Facebook
    तुम ज़माने की राह से आए;
    वर्ना सीधा था रास्ता दिल का!
    ~ Baqi Siddiqui
  • बुर्क़ा-पोश पठानी जिस की लाज में सौ सौ रूप; <br/>
खुल के न देखी फिर भी देखी हम ने छाँव में धूप!Upload to Facebook
    बुर्क़ा-पोश पठानी जिस की लाज में सौ सौ रूप;
    खुल के न देखी फिर भी देखी हम ने छाँव में धूप!
    ~ Jameeluddin Aali
  • इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िन्दगी;<br/>
हमें कौन से सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ!Upload to Facebook
    इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िन्दगी;
    हमें कौन से सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ!
    ~ Gulzar
  • थोड़ा सा रफू करके देखिये न;<br/>
फिर से नयी सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है!Upload to Facebook
    थोड़ा सा रफू करके देखिये न;
    फिर से नयी सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है!
    ~ Gulzar
  • लगता है आज ज़िंदगी कुछ ख़फ़ा है;<br/>
चलो छोड़िये, कौन सी पहली दफा है!Upload to Facebook
    लगता है आज ज़िंदगी कुछ ख़फ़ा है;
    चलो छोड़िये, कौन सी पहली दफा है!
    ~ Gulzar
  • मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में;<br/>बस हम गिनती उसी की करते हैं जो हासिल ना हो सका!Upload to Facebook
    मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में;
    बस हम गिनती उसी की करते हैं जो हासिल ना हो सका!
    ~ Gulzar