कदमो को बाँध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें; रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूँ मैं! |
नजरिया बदल के देख, हर तरफ नजराने मिलेंगे; ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे। |
तुम ज़माने की राह से आए; वर्ना सीधा था रास्ता दिल का! |
बुर्क़ा-पोश पठानी जिस की लाज में सौ सौ रूप; खुल के न देखी फिर भी देखी हम ने छाँव में धूप! |
इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िन्दगी; हमें कौन से सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ! |
थोड़ा सा रफू करके देखिये न; फिर से नयी सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है! |
लगता है आज ज़िंदगी कुछ ख़फ़ा है; चलो छोड़िये, कौन सी पहली दफा है! |
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में; बस हम गिनती उसी की करते हैं जो हासिल ना हो सका! |
फुर्सत में करेंगे तुझसे हिसाब ए ज़िन्दगी; अभी तो उलझे हैं खुद को सुलझाने में! |
वैसे तो इक आँसू भी बहाकर मुझे ले जाए; ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता! |