यूँ ना छोड़ जिंदगी की किताब को खुला: बेवक्त की हवा ना जाने कौन सा पन्ना पलट दे! |
कुछ देर की खामोशी है, फिर शोर आयेगा; तुम्हारा सिर्फ़ वक्त आया है, हमारा दौर आयेगा! |
क्यों डरे कि ज़िन्दग़ी में क्या होगा, हर वक़्त क्यों सोचे कि बुरा होगा; बढ़ते रहे बस मंज़िलो की ओर, हमे कुछ मिले या ना मिले, तज़ुर्बा तो नया होगा! |
आते हैं आने दो ये तूफ़ान क्या ले जाएंगे; मैं तो जब डरता कि मेरा हौसला ले जाएंगे! |
होता है फख्र देख के अक्सर ही आईना; मैंने कभी ज़मीर का सौदा नहीं किया! |
माँगी थी एक बार दुआ हम ने मौत की; शर्मिंदा आज तक हैं मियाँ ज़िंदगी से हम! |
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं; तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं! |
तू अपनी रफ्तार पे इतना ना इतरा,ऐ जिंदगी; अगर मैंने रोक ली साँस तो, तू भी चल नही पायेगी! |
राह-ए-ज़िन्दगी में यह कहानी सभी की है; हमराज़ कोई और है, हमसफ़र कोई और है! |
ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं; हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं! |