दर्द Hindi Shayari

  • न जख्म भरे, न शराब सहारा हुई;<br/>
न वो वापस लौटी न मोहब्बत दोबारा हुई!Upload to Facebook
    न जख्म भरे, न शराब सहारा हुई;
    न वो वापस लौटी न मोहब्बत दोबारा हुई!
  • भीड़ में भी तन्हा रहना मुझको सिखा दिया,<br/>
तेरी मोहब्बत ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया;<br/>
किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो,<br/>
सब कुछ ज़िन्दगी ने चुप-चाप सहना सिखा दिया!Upload to Facebook
    भीड़ में भी तन्हा रहना मुझको सिखा दिया,
    तेरी मोहब्बत ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया;
    किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो,
    सब कुछ ज़िन्दगी ने चुप-चाप सहना सिखा दिया!
  • परेशान करते थे मेरे सवाल तुमको;<br/>
तो बताओ पसंद आई खामोशी मेरी!Upload to Facebook
    परेशान करते थे मेरे सवाल तुमको;
    तो बताओ पसंद आई खामोशी मेरी!
  • तुम्हें कितनी मोहब्बत है... मालूम नहीं;<br/>
मुझे लोग आज भी तेरी क़सम दे कर मना लेते हैं!Upload to Facebook
    तुम्हें कितनी मोहब्बत है... मालूम नहीं;
    मुझे लोग आज भी तेरी क़सम दे कर मना लेते हैं!
  • काश कि खुदा ने दिल शीशे के बनाए होते;<br/>
तोड़ने वाले के हाथों में ज़ख्म तो आए होते!Upload to Facebook
    काश कि खुदा ने दिल शीशे के बनाए होते;
    तोड़ने वाले के हाथों में ज़ख्म तो आए होते!
  • गुमसुम से हो गए हैं आजकल सारे अल्फ़ाज मेरे;<br/>
लगता है किसी चाहने वाले ने इन्हें पढ़ना छोड़ दिया!Upload to Facebook
    गुमसुम से हो गए हैं आजकल सारे अल्फ़ाज मेरे;
    लगता है किसी चाहने वाले ने इन्हें पढ़ना छोड़ दिया!
  • फूल शबनम में डूब जाते है, ज़ख्म मरहम में डूब जाते है;<br/>
जब आते है ख़त तेरे, हम तेरे ग़म में डूब जाते है!Upload to Facebook
    फूल शबनम में डूब जाते है, ज़ख्म मरहम में डूब जाते है;
    जब आते है ख़त तेरे, हम तेरे ग़म में डूब जाते है!
  • चुपचाप गुजार देंगे तेरे बिना भी ये जिंदगी;<br/>
लोगों को सिखा देंगे मोहब्बत ऐसे भी होती है!Upload to Facebook
    चुपचाप गुजार देंगे तेरे बिना भी ये जिंदगी;
    लोगों को सिखा देंगे मोहब्बत ऐसे भी होती है!
  • काँटों से घिरा रहता है;<br/>
फिर भी गुलाब खिला रहता है!Upload to Facebook
    काँटों से घिरा रहता है;
    फिर भी गुलाब खिला रहता है!
  • हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब;<br/>
इसी का नाम ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब!
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    हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब;
    इसी का नाम ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब!
    ~ Gulzar