दर्द Hindi Shayari

  • बंजर नहीं हूं मैं मुझमें बहुत सी नमी है,<br/>
दर्द बयां नही करता, बस इतनी सी कमी है!Upload to Facebook
    बंजर नहीं हूं मैं मुझमें बहुत सी नमी है,
    दर्द बयां नही करता, बस इतनी सी कमी है!
  • संभल कर चल नादान, ये इंसानों की बस्ती हैं;<br/>
ये रब को भी आजमा लेते हैंफिर तेरी क्या हस्ती हैं!Upload to Facebook
    संभल कर चल नादान, ये इंसानों की बस्ती हैं;
    ये रब को भी आजमा लेते हैंफिर तेरी क्या हस्ती हैं!
  • उसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर ली,<br/>
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,<br/>
मेरे मुकद्दर में दर्द आया तो क्या हुआ,<br/>
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
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    उसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर ली,
    बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
    मेरे मुकद्दर में दर्द आया तो क्या हुआ,
    खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
  • यारों कुछ तो जिक्र करो, उनकी क़यामत बाहों का,<br/>
जो सिमटते होंगें उनमे, वो तो मर जाते होंगे!Upload to Facebook
    यारों कुछ तो जिक्र करो, उनकी क़यामत बाहों का,
    जो सिमटते होंगें उनमे, वो तो मर जाते होंगे!
  • मत पुछो कि मेरा कारोबार क्या है,<br/>
मुस्कुराहट की छोटीसी दुकान है, नफरत के बाजार मे!Upload to Facebook
    मत पुछो कि मेरा कारोबार क्या है,
    मुस्कुराहट की छोटीसी दुकान है, नफरत के बाजार मे!
  • जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,<br/>
उसने सदियों की जुदाई दी है।
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    जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
    उसने सदियों की जुदाई दी है।
  • दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ;<br/>
बाज़ार से ग़ुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ!Upload to Facebook
    दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ;
    बाज़ार से ग़ुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ!
    ~ Akbar Allahabadi
  • तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई हुयी साहिर आँखें;<br/>
तुझ को मालूम है क्यों उम्र गवाँ दी हमने!Upload to Facebook
    तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई हुयी साहिर आँखें;
    तुझ को मालूम है क्यों उम्र गवाँ दी हमने!
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • जिस दिल को सौंपा था मोड़ भी आया उसे;<br/>
वो चाहता था छोड़ना मैं छोड़ भी आया उसे;<br/>
अब के ताल्लुक ना रखेगा वो कोई मुझसे;<br/>
मैं दोनों हाथों को अब जोड़ भी आया उसे!Upload to Facebook
    जिस दिल को सौंपा था मोड़ भी आया उसे;
    वो चाहता था छोड़ना मैं छोड़ भी आया उसे;
    अब के ताल्लुक ना रखेगा वो कोई मुझसे;
    मैं दोनों हाथों को अब जोड़ भी आया उसे!
  • हिज्र के साहिल पे था जो इश्क का आशियाना;<br/>
ग़म की बरसात में नदीम इक रोज़ ढह गया!Upload to Facebook
    हिज्र के साहिल पे था जो इश्क का आशियाना;
    ग़म की बरसात में नदीम इक रोज़ ढह गया!