हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथ; ले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ। |
यह ग़ज़लों की दुनिया भी अजीब है; यहाँ आँसुओं का भी जाम बनाया जाता है; कह भी देते हैं अगर दर्द-ए-दिल की दास्तान; फिर भी वाह-वाह ही पुकारा जाता है। |
हम पर जो गुज़री है क्या तुम सुन पाओगे; नाज़ुक सा दिल रखते हो तुम रोने लग जाओगे; बहुत ग़म मिले हैं इस दुनिया की भीड़ में; कभी सुनो जो तुम इन्हें तुम भी मुस्कुराना भूल जाओगे। |
ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'; सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है। |
उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब सिलसिला था; अपना भी नहीं बनाया और किसी का होने भी नहीं दिया। |
दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं; जैसे बिछड़े हुये काबे में सनम आते हैं। |
अजीब रंग का मौसम चला है कुछ दिन से; नज़र पे बोझ है और दिल खफा है कुछ दिन से; वो और थे जिसे तू जानता था बरसों से; मैं और हूँ जिसे तू मिल रहा है कुछ दिन से। |
उनसे मिलने की जो सोचें अब वो ज़माना नहीं; घर भी उनके कैसे जायें अब तो कोई बहाना नहीं; मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना; माना कि बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं। |
माँगने से मिल सकती नहीं हमें एक भी ख़ुशी; पाये हैं लाख रंज तमन्ना किये बगैर। |
तुम्हें भूले पर तेरी यादों को ना भुला पाये; सारा संसार जीत लिया बस एक तुम से ना हम जीत पाये; तेरी यादों में ऐसे खो गए हम कि किसी को याद ना कर पाये; तुमने मुझे किया तनहा इस कदर कि अब तक किसी और के ना हम हो पाये। |