दर्द Hindi Shayari

  • रोज़ दीवार में चुन देता हूँ मैं अपनी अना;</br>
रोज़ वो तोड़ के दीवार निकल आती है!</br></br>
*अना: मैं, अहमUpload to Facebook
    रोज़ दीवार में चुन देता हूँ मैं अपनी अना;
    रोज़ वो तोड़ के दीवार निकल आती है!

    *अना: मैं, अहम
    ~ Khurshid Talab
  • मरते हैं आरज़ू में मरने की;</br>
मौत आती है पर नहीं आती!Upload to Facebook
    मरते हैं आरज़ू में मरने की;
    मौत आती है पर नहीं आती!
    ~ Mirza Ghalib
  • शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए;</br>
हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं!</br></br>
*शमा: मोमबत्तीUpload to Facebook
    शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए;
    हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं!

    *शमा: मोमबत्ती
    ~ Qateel Shifai
  • किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देती;</br>
है यही एक ख़राबी मेरी तन्हाई की!Upload to Facebook
    किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देती;
    है यही एक ख़राबी मेरी तन्हाई की!
    ~ Farhat Ehsas
  • ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे;</br>
सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है!Upload to Facebook
    ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे;
    सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है!
    ~ Ahmad Faraz
  • अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को;</br>
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं!Upload to Facebook
    अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को;
    मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं!
    ~ Aasi Uldani
  • इज़हार-ए-हाल का भी ज़रिया नहीं रहा;</br>
दिल इतना जल गया है कि आँखों में नम नहीं!Upload to Facebook
    इज़हार-ए-हाल का भी ज़रिया नहीं रहा;
    दिल इतना जल गया है कि आँखों में नम नहीं!
    ~ Ismail Merathi
  • एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं;</br>
वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने!Upload to Facebook
    एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं;
    वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने!
    ~ Abul Mujahid Zahid
  • मुस्कुराते हुए मिलता हूँ किसी से जो 'ज़फ़र';</br>
साफ़ पहचान लिया जाता हूँ रोया हुआ मैं!Upload to Facebook
    मुस्कुराते हुए मिलता हूँ किसी से जो 'ज़फ़र';
    साफ़ पहचान लिया जाता हूँ रोया हुआ मैं!
    ~ Zafar Iqbal
  • तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी;</br>
तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे!</br></br>

* तल्ख़ी-ए-मय:  bitterness of the wine Upload to Facebook
    तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी;
    तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे!

    * तल्ख़ी-ए-मय: bitterness of the wine
    ~ Faiz Ahmad Faiz