जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ; दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो! |
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो; मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबान मारा गया! |
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को; दोस्तो अपने ताल्लुक को सँवारा जाए! * ताल्लुक : संबंध |
पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलते; न जाने कौन कहाँ दिल लगा के बैठ गया! |
हम को यारों ने याद भी न रखा; 'जौन' यारों के यार थे हम तो! |
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त; दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से! |
ये ज़िंदगी तो बहुत कम है दोस्ती के लिए; कहाँ से वक़्त निकलता है दुश्मनी के लिए! |
ये क्या पड़ी है तुझे दिल जलों में बैठने की; ये उम्र तो है मियाँ दोस्तों में बैठने की! |
दोस्ती कभी ख़ास लोगों से नहीं होती; जिनसे हो जाती है वही लोग ज़िन्दगी में ख़ास बन जाते है! |
लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं, लोग सपने देखते हैं हम हक़ीकत देखते है; लोग दुनिया मे दोस्त देखते हैं, हम दोस्तो मे दुनिया देखते हैं! |