बेवफ़ाई Hindi Shayari

  • बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी;
    मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है।
  • हर धड़कन में एक राज़ होता है;<br />
बात को बताने का भी एक अंदाज़ होता है;<br />
जब तक ना लगे ठोकर बेवाफ़ाई की;<br />
हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है।Upload to Facebook
    हर धड़कन में एक राज़ होता है;
    बात को बताने का भी एक अंदाज़ होता है;
    जब तक ना लगे ठोकर बेवाफ़ाई की;
    हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है।
  • मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर;<br />
जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला।Upload to Facebook
    मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर;
    जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला।
  • हो गया हूँ मशहूर तो ज़ाहिर है दोस्तो;
    इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे;
    थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो;
    सीधे चले तो मुमकिन है पीठ में खंज़र भी आयेंगे।
  • ना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैं;<br />
और फिर समंदर में लौट जाती हैं;<br />
समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं;<br />
या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं।Upload to Facebook
    ना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैं;
    और फिर समंदर में लौट जाती हैं;
    समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं;
    या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं।
  • हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है;<br />
हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है;<br />
तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग;<br />
हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है।Upload to Facebook
    हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है;
    हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है;
    तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग;
    हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है।
  • दुनिया ने किस का राह-ए-वफ़ा में दिया है साथ;
    तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले।
    ~ Sheikh Ibrahim Zauq
  • काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें;<br />
उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें।Upload to Facebook
    काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें;
    उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें।
  • वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था;<br/>
खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था;<br/>
महोब्बत में मिली थी नफरत उसे भी शायद;<br/>
इसलिए हर शख्स को शायद बेवफा लिख रहा था।Upload to Facebook
    वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था;
    खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था;
    महोब्बत में मिली थी नफरत उसे भी शायद;
    इसलिए हर शख्स को शायद बेवफा लिख रहा था।
  • मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो;
    इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे;
    थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो;
    सीधे चले तो मुमकिन है पीठ में खंज़र भी आयेंगे।