चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है, आँखों में सुरूर आ जाता है; जब तुम मुझे अपना कहते हो तो अपने पे गुरूर आ जाता है; तुम हुस्न की खुद एक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं; महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है। |
मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर; फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है। |
आँख बंद करके चलाना खंजर मुझ पे; कही तुम मुस्कुरा दिए तो हम बिना खंजर ही मर जायेंगे। |
तेरी आँखों के जादू से तू ख़ुद नहीं है वाकिफ़; ये उसे भी जीना सिखा देती हैं जिसे मरने का शौक़ हो। |
अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता है; किसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे। |
नशीली आँखों से वो जब हमें देखते हैं; हम घबरा कर आँखें झुका लेते हैं; कौन मिलाये उन आँखों से आँखें; सुना है वो आँखों से अपना बना लेते हैं। |
फ़क़त इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें; मैं तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयाँ तक देखूँ। |
ना जाने कौन सा जादू है तेरी बाहों में; शराब सा नशा है तेरी निगाहों में; तेरी तलाश में तेरे मिलने की आस लिए; दुआऐं मॉगता फिरता हूँ मैं दरगाहों में। |
अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता है; किसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे। |
वो करें भी तो किन अल्फ़ाज़ में तेरा शिकवा; जिन को तेरी निगह-ए-लुत्फ़ ने बर्बाद किया। |