मिट्टी की बनी हूँ महक उठूंगी; बस तू इक बार बेइन्तहा 'बरस' के तो देख! |
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे; इक शहर अब इनका भी होना चाहिए! |
मयख़ाने से बढ़कर कोई ज़मीन नहीं; जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं, ज़मीर नहीं! |
कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की बात थी; बैठे रहे ज़मीन पर वो परिंदे रात भर! |
मुझे खामोश़ देख कर इतना क्यों हैरान होते हो ऐ दोस्तो; कुछ नहीं हुआ है बस भरोसा करके धोखा खाया है! |
लाख समझाया उसे ना मिला करो गैरों से; वो हस कर कहने लगे तुम भी तो पहले गैर थे! |
मुद्दतों बाद वो मिली भी तो बैंक में; अब यारों तुम ही बताओ मोहब्बत करते कि नोट बदलते! |
कोशिश न कर, सभी को खुश रखने की; कुछ लोगों की नाराजगी भी जरूरी है, चर्चा में बने रहने के लिए! |
सारी उम्र बस एक ही सबक याद रखना; दोस्ती और इबादत में बस नीयत साफ़ रखना! |
मैं तुम्हारी वो याद हूँ; जिसे तुम अक्सर भूल जाते हो। |