बेचैन इस क़दर था, सोया न रात भर; पलकों से लिख रहा था, तेरा नाम चाँद पर! |
न जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की; अब वजह नहीं मिलती मुस्कुराने की! |
हैं परेशानियाँ यूँ तो बहुत सी ज़िंदगी में; तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता! |
कुछ दिल में, कुछ कागजों पर किस्से आबाद रहे; कैसे भूले उन्हें, जो हर धडकनों में याद रहे! |
मोहब्बत की तलाश में निकले हो तुम अरे ओ पागल; मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद करना हो! |
इंतजार अक्सर वही अधूरे रह जाते हैं; जो बहुत शिद्दत से किए जाते हैं! |
शीशा टूटे ग़ुल मच जाए; दिल टूटे आवाज़ न आए। |
तेरे हाथ से मेरे हाथ तक, वो जो हाथ भर का था फ़ासला; उसे नापते, उसे काटते मेरी सारी उमर गुज़र गयी! |
जब गिला शिकवा अपनों से हो तो खामोशी ही भली; अब हर बात पे जंग हो यह जरूरी तो नहीं! |
बहुत मशरूफ हो शायद, जो हम को भूल बैठे हो; न ये पूछा कहाँ पे हो, न यह जाना कि कैसे हो! |