किसी ने कहा था मोहब्बत फूल जैसी है; कदम रुक गये आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा! |
ख्वाब बोये थे, और अकेलापन काटा है; इस मोहब्बत में, यारों बहुत घाटा है! |
परखो तो कोई अपना नहीं; समझो तो कोई पराया नहीं! |
बात सजदों की नहीं नीयत की है; मयखाने में हर कोई शराबी नहीं होता! |
उड़ रही है पल पल ज़िन्दगी रेत सी; और हमको वहम है कि हम बडे हो रहे हैं! |
मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में; वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में! |
वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त; जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं! |
ज़मीन पर मेरा नाम वो लिखते और मिटाते हैं; वक्त उनका तो गुजर जाता है, मिट्टी में हम मिल जाते हैं! |
किसी ने हम से पूछा इतने छोटे से दिल में इतने सारे दोस्त कैसे समां जाते हैं; हम ने कहा वैसे ही जैसे छोटी सी हथेली में सारे जिंदगी की लकीरें समां जाती हैं! |
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से; देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में! |